भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और कड़े नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक और कड़ा कदम उठाया है। शुक्रवार को आरबीआई ने दो प्रमुख बैंकों — ड्यूश बैंक एजी (Deutsche Bank AG) और यस बैंक (Yes Bank) — पर कुल ₹79.5 लाख का मौद्रिक जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना बैंकिंग मानदंडों के उल्लंघन और सूचनाओं की रिपोर्टिंग में चूक को लेकर लगाया गया है।
यह निर्णय दर्शाता है कि RBI अब किसी भी लापरवाही को लेकर गंभीर है और किसी भी बैंक को नियामकीय दिशानिर्देशों के उल्लंघन की छूट नहीं देने वाला।
ड्यूश बैंक पर 50 लाख रुपए का जुर्माना
आरबीआई ने ड्यूश बैंक एजी इंडिया पर ₹50 लाख का जुर्माना लगाया है। बैंक पर यह आरोप है कि उसने कुछ उधारकर्ताओं की क्रेडिट जानकारी को Central Repository of Information on Large Credits (CRILC) को रिपोर्ट नहीं किया।
आरबीआई के मुताबिक, यह जुर्माना "बड़े साझा जोखिमों के केंद्रीय भंडार निर्माण" पर जारी निर्देशों का पालन न करने के कारण लगाया गया है।
ड्यूश बैंक का यह उल्लंघन बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 46(4)(i) के साथ धारा 47A(1)(c) के तहत आता है। आरबीआई ने इस पर कहा कि यह कार्रवाई रेगुलेटरी कंप्लायंस की कमियों के आधार पर की गई है और इसका उद्देश्य बैंक के ग्राहकों के साथ लेनदेन की वैधता को चुनौती देना नहीं है।
यस बैंक पर 29.60 लाख रुपए का जुर्माना
यस बैंक को भी आरबीआई ने निर्देशों का पालन न करने पर ₹29.60 लाख का मौद्रिक दंड दिया है।
RBI के अनुसार, यस बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के अपने वार्षिक वित्तीय विवरणों में ग्राहकों की शिकायतों से संबंधित सटीक और पूर्ण जानकारी का खुलासा नहीं किया। यह चूक आरबीआई द्वारा जारी "फाइनेंशियल स्टेटमेंट प्रेजेंटेशन एंड डिस्क्लोजर" निर्देशों के उल्लंघन में आती है।
इसका साफ मतलब है कि यस बैंक ने ग्राहक शिकायत प्रबंधन को लेकर अपनी रिपोर्टिंग में पारदर्शिता नहीं बरती, जो कि बैंकिंग प्रणाली के लिए गंभीर चिंता का विषय है।
क्या है CRILC (सीआरआईएलसी)?
CRILC यानी Central Repository of Information on Large Credits एक केंद्रीय डेटाबेस है, जिसमें सभी बैंकों और वित्तीय संस्थानों को ₹5 करोड़ या उससे अधिक के ऋण की जानकारी रिपोर्ट करना अनिवार्य होता है।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यदि कोई बड़ा उधारकर्ता किसी एक बैंक को धोखा देता है तो उसकी जानकारी बाकी सभी बैंकों के पास भी हो, जिससे क्रेडिट रिस्क का आंकलन और एनपीए प्रबंधन बेहतर ढंग से किया जा सके।
RBI की सख्ती का संदेश
RBI की यह कार्रवाई यह स्पष्ट करती है कि अब बैंकों को पारदर्शिता और अनुपालन (compliance) के हर स्तर पर सावधानी बरतनी होगी। चाहे वह सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक हो, निजी बैंक या फिर विदेशी बैंक — यदि नियमों का पालन नहीं होता है तो जुर्माना तय है।
RBI का कहना है कि ये जुर्माने केवल नियमों के उल्लंघन की जिम्मेदारी तय करने के लिए हैं और इनका मकसद किसी बैंक के ग्राहकों से किए गए अनुबंध या उनके लेनदेन को अमान्य ठहराना नहीं है।
तीन सहकारी बैंकों पर भी जुर्माना
ड्यूश बैंक और यस बैंक के अलावा 15 मई को तीन सहकारी बैंकों पर भी जुर्माना लगाया गया।
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कर्नाटक सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, धारवाड़ पर ₹2 लाख
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मैंगलोर को-ऑपरेटिव टाउन बैंक पर ₹1 लाख
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शिमोगा डिस्ट्रिक्ट को-ऑपरेटिव सेंट्रल बैंक पर ₹1 लाख
इन बैंकों पर नियामकीय मानदंडों के उल्लंघन और रिपोर्टिंग में लापरवाही को लेकर कार्रवाई की गई।
निष्कर्ष: पारदर्शिता और जवाबदेही का दौर
भारतीय रिजर्व बैंक की ताजा कार्रवाई एक स्पष्ट संकेत है कि अब कोई भी बैंक अनुपालन मानकों की अनदेखी नहीं कर सकता। वित्तीय संस्थानों को अब अपने सिस्टम, रिपोर्टिंग फ्रेमवर्क और कस्टमर सर्विस में पारदर्शिता और जवाबदेही लानी ही होगी।
इस कार्रवाई से ग्राहकों का भरोसा तो मजबूत होगा ही, साथ ही बैंकिंग क्षेत्र में सुधार और अनुशासन की दिशा में यह एक बड़ा कदम साबित होगा।