मुंबई, 28 अगस्त, (न्यूज़ हेल्पलाइन)। राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालतों में गवाही के लिए पुलिस अधिकारियों के पेश न होने पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य पुलिस महानिदेशक को स्पष्टीकरण देने के आदेश जारी किए हैं। जस्टिस फरजंद अली ने गुरुवार को कुलदीप सिंह की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्देश दिया कि डीजीपी हलफनामा दाखिल कर बताएं कि आखिर क्यों पुलिस अधिकारी अदालत में गवाही देने नहीं आ रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने अदालत को बताया कि ट्रायल कोर्ट के लगातार प्रयासों के बावजूद अभियोजन पक्ष के गवाह, विशेषकर पुलिस अधिकारी, जो रिकवरी जैसी कार्रवाई में अहम भूमिका निभाते हैं, सुनवाई के दौरान उपस्थित नहीं हो रहे। यहां तक कि कुछ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट तक जारी किए गए, लेकिन उन्हें अब तक लागू नहीं किया गया।
हाईकोर्ट ने इस रवैये को "अत्यंत दुखदायी और निंदनीय" करार दिया। कोर्ट ने कहा कि जो पुलिस अधिकारी खुद कानूनी प्रक्रिया को लागू करने के लिए बाध्य हैं, वही प्रक्रिया का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं। अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि जब पुलिस अधिकारियों के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट तक अमल में नहीं लाए जाते, तो यह स्थिति न्याय व्यवस्था पर से जनता का विश्वास डिगा देती है और लोकतंत्र के लिए बेहद शर्मनाक है। कोर्ट ने डीजीपी को यह भी याद दिलाया कि गणेशराम बनाम राजस्थान राज्य मामले में पहले ही आदेश दिए गए थे कि प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त किए जाएं, ताकि पुलिस गवाहों को जारी समन और वारंट की पालना सुनिश्चित हो सके। यह नोडल अधिकारी कम से कम सर्कल इंस्पेक्टर के स्तर का होना चाहिए और उस पर पूरी जिम्मेदारी होगी कि पुलिस गवाह समय पर अदालत में पेश हों।
हाईकोर्ट ने डीजीपी से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी है कि क्यों अधीनस्थ अधिकारी लगातार अपने वैधानिक कर्तव्यों का पालन करने में नाकाम हो रहे हैं और क्यों गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद पुलिस अधिकारी की गिरफ्तारी नहीं की जा सकी। डीजीपी को यह भी बताना होगा कि गणेशराम मामले में दिए गए निर्देशों का पालन किस हद तक हुआ है, उस समय नोडल अधिकारी कौन था और ट्रायल कोर्ट की प्रक्रिया को लागू करने के लिए क्या कदम उठाए गए। साथ ही, अदालत ने चेतावनी दी है कि आदेशों की अवहेलना के लिए संबंधित अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जा सकती है। इस आदेश की प्रति तुरंत डीजीपी तक पहुंचाने के निर्देश महाधिवक्ता सह अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक चौधरी को दिए गए हैं। कोर्ट ने यह भी साफ किया कि हलफनामा अगली सुनवाई, यानी 12 सितंबर से पहले दाखिल किया जाना चाहिए।