कानपुर न्यूज डेस्क: भारत में हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर के दौरान हुए ड्रोन हमलों ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है। इसी वजह से अब देश में ड्रोन टेक्नोलॉजी की मांग तेज़ी से बढ़ी है। सरकार और सुरक्षा बल इस खतरे से निपटने के लिए नई रणनीतियां बना रहे हैं। इसी क्रम में सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने IIT कानपुर के साथ एक अहम समझौता किया है, जो ड्रोन फोरेंसिक, काउंटर-यूएवी तकनीक, अनुसंधान और प्रशिक्षण पर केंद्रित होगा। BSF ने तो इस दिशा में कदम बढ़ाते हुए अपना पहला ड्रोन स्क्वाड्रन भी तैयार कर लिया है।
यह करार BSF के महानिदेशक दलजीत सिंह चौधरी की मौजूदगी में हुआ। इसमें BSF और IIT कानपुर ने तय किया कि भविष्य में आने वाली चुनौतियों का हल संयुक्त रिसर्च और स्वदेशी तकनीक के ज़रिए खोजा जाएगा। IIT कानपुर BSF को उन तकनीकी दिक्कतों का समाधान देगा, जिनका सामना एजेंसी करती है। इस सहयोग से घरेलू स्तर पर आधुनिक ड्रोन टेक्नोलॉजी का विकास भी होगा, जिससे देश की सुरक्षा और मजबूत होगी।
इस साझेदारी में साइबर सुरक्षा और ड्रोन एनालिसिस पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। IIT कानपुर BSF की मदद से एडवांस्ड लैब्स खड़ी करेगा और नई-नई तकनीकों पर मिलकर काम किया जाएगा। यहां मौजूद गस्ट टेस्टिंग सुविधा, पवन सुरंगें और उड़ान प्रयोगशालाएं BSF और देशी स्टार्टअप्स को भी मजबूती देंगी। IIT-K पहले से ही कई ड्रोन स्टार्टअप्स को परिपक्व कर चुका है और यह सहयोग उन्हें और बड़ा प्लेटफॉर्म देगा।
BSF के अधिकारी और जवान अब ड्रोन तकनीक के नए-नए पहलुओं को सीखेंगे। उनके लिए IIT कानपुर में लेक्चर्स और बेसिक से लेकर एडवांस ट्रेनिंग कोर्स भी चलाए जाएंगे। इसके अलावा, IIT-K ड्रोन संचालन, डिजाइन और इनोवेशन से जुड़ी तकनीकी सलाह भी देगा। सीधा मतलब है कि अब BSF को हर कदम पर IIT कानपुर से रिसर्च-आधारित तकनीकी सहयोग मिलेगा, जिससे देश की हवाई सुरक्षा और भी पुख्ता होगी।