कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर देहात के भीतरगांव विकासखंड से कुछ ही दूरी पर बसे बेहटा गांव में एक अनोखा और प्राचीन मंदिर स्थित है, जिसे भगवान जगन्नाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा की सुंदर मूर्तियाँ स्थापित हैं, जो काले चिकने पत्थरों से बनी हुई हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार, यह उत्तर भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना जगन्नाथ मंदिर माना जाता है, जो न केवल धार्मिक, बल्कि रहस्यमय कारणों से भी प्रसिद्ध है।
इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि हर साल मानसून आने से ठीक पहले मंदिर की छत से पानी की बूंदें गिरने लगती हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन बूंदों की मोटाई देखकर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वर्षा कितनी तेज़ होगी। अगर मोटी बूंदें गिरती हैं, तो इसका मतलब है कि इस बार अच्छी बारिश होगी। इस साल भी मोटी बूंदें गिरती देख लोगों में उत्साह है कि मानसून भरपूर रहेगा।
आश्चर्य की बात यह है कि जैसे ही असली बारिश शुरू होती है, मंदिर की छत से टपकना अचानक रुक जाता है और छत एकदम सूखी दिखती है। न उसमें दरार मिलती है और न कोई पानी की निकासी का स्रोत। कई बार वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की टीमों ने जांच की, पर इस रहस्य का कोई सटीक जवाब नहीं मिला। मंदिर अब भी अपने इस चमत्कार के कारण चर्चा का विषय बना हुआ है।
मंदिर के पुजारी बताते हैं कि पुरातत्व विभाग ने भी इसकी कई बार जांच की है। रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं सदी में हुआ था और इसकी बनावट किसी पुराने बौद्ध मठ जैसी लगती है। इसकी दीवारें करीब 14 फुट मोटी हैं और कुछ इतिहासकार इसे सम्राट अशोक के शासनकाल का बताते हैं। यहां हर साल जगन्नाथ रथ यात्रा भव्य रूप से निकाली जाती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं। यह मंदिर अब भी श्रद्धा, विज्ञान और इतिहास के मिश्रण का अद्भुत उदाहरण बना हुआ है।