अमेरिका की राजनीति में एक बार फिर हलचल तेज हो गई है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) माइक वाल्ट्ज ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके साथ-साथ डिप्टी एनएसए अलेक्स वांग को भी पद से हटा दिया गया है। फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह बदलाव अचानक नहीं बल्कि एक सुरक्षा संबंधी बड़ी चूक के बाद लिया गया फैसला है। इससे साफ है कि ट्रंप प्रशासन राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों पर कोई समझौता करने के मूड में नहीं है।
चार महीने में बदलेगा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल की यह एक अहम घटना मानी जा रही है। सरकार के गठन के महज चार महीने के अंदर ही एनएसए पद पर बदलाव देखने को मिलेगा। माइक वाल्ट्ज को हटाए जाने के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि ट्रंप अब ऐसे व्यक्तियों को अपनी टीम में बनाए रखना नहीं चाहते जो गोपनीयता भंग करने के दोषी माने जा रहे हैं।
राष्ट्रपति कार्यालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, ट्रंप जल्द ही इस विषय पर आधिकारिक बयान जारी कर सकते हैं और नए एनएसए के नाम की भी घोषणा संभव है।
क्यों हटाए गए माइक वाल्ट्ज?
वाल्ट्ज की बर्खास्तगी का कारण यमन में हुए एक आतंकी हमले से जुड़ा है। इस हमले के बाद, अमेरिकी सुरक्षा संस्थाओं के शीर्ष अधिकारी—जैसे रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ, सीआईए डायरेक्टर जॉन रेडक्लिफ और अन्य—के साथ एक गोपनीय वार्ता हुई थी। यह वार्ता बेहद संवेदनशील मानी जा रही थी, लेकिन दुर्भाग्य से इसकी जानकारी एक प्रमुख अमेरिकी मैगजीन में लीक हो गई।
इस लीक के पीछे माइक वाल्ट्ज की लापरवाही सामने आई। उन्होंने एक निजी चैट ग्रुप में एक पत्रकार को शामिल कर लिया था, जिससे बातचीत मीडिया में पहुंच गई। इस बात को खुद वाल्ट्ज ने स्वीकार किया है।
वाल्ट्ज ने माना अपनी गलती
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, माइक वाल्ट्ज ने खुद माना कि उन्होंने ही वह ग्रुप बनाया था जिसमें पत्रकार को जोड़ा गया। उन्होंने कहा, "यह मेरी एक बड़ी चूक थी और मैं इसके लिए जिम्मेदार हूं।" वाल्ट्ज ने कहा कि वह इस मामले को लेकर शर्मिंदा और दुखी हैं, और उन्होंने खुद ही राष्ट्रपति को इस्तीफा सौंप दिया।
उनके इस फैसले के बाद ट्रंप प्रशासन में एक और अहम नाम—डिप्टी एनएसए अलेक्स वांग—को भी हटा दिया गया है। अलेक्स पर आरोप है कि उन्होंने इस लीक की संभावनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।
राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में और बदलाव संभव
फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, यह केवल शुरुआत है। आने वाले दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद से जुड़े कई और अधिकारियों को हटाया जा सकता है। ट्रंप प्रशासन अब इस संवेदनशील विभाग में केवल उन्हीं अधिकारियों को रखना चाहता है जो पूरी तरह से गोपनीयता, ईमानदारी और देशहित को प्राथमिकता देते हों।
ट्रंप सरकार की यह नीति न केवल आंतरिक अनुशासन को दर्शाती है, बल्कि यह भी स्पष्ट करती है कि उनकी प्राथमिकता अमेरिका की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि है।
ट्रंप प्रशासन पर विपक्ष के सवाल
हालांकि, इस घटनाक्रम को लेकर विपक्षी नेताओं ने ट्रंप प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। विपक्ष का कहना है कि चार महीने में ही एनएसए का इस्तीफा प्रशासन की विफलता को दर्शाता है। डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता मार्क कार्नी ने कहा कि “यदि राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद में बार-बार बदलाव हो रहे हैं, तो यह देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।”
हालांकि, ट्रंप समर्थकों का मानना है कि राष्ट्रपति ने सही समय पर सख्त और निर्णायक कदम उठाया है, जो कि नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।
नया एनएसए कौन होगा?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि माइक वाल्ट्ज की जगह कौन लेगा? व्हाइट हाउस से जुड़े सूत्रों के अनुसार, नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के लिए कई नामों पर विचार किया जा रहा है, जिनमें से कुछ पहले ट्रंप प्रशासन में रक्षा या विदेश नीति से जुड़े रहे हैं।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप इस बार ऐसे व्यक्ति को एनएसए बनाना चाहते हैं जो सुरक्षा मामलों में न सिर्फ अनुभव रखता हो, बल्कि भरोसेमंद भी हो।
निष्कर्ष: ट्रंप का कड़ा संदेश
इस पूरे घटनाक्रम ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रीय सुरक्षा के मामले में कोई ढील नहीं बरतेंगे। चाहे वह कितने भी वरिष्ठ अधिकारी क्यों न हों, यदि वे सुरक्षा के बुनियादी मानकों का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा।
माइक वाल्ट्ज और अलेक्स वांग की बर्खास्तगी इसी नीति का हिस्सा है, और यह आने वाले समय में ट्रंप प्रशासन की सुरक्षा प्राथमिकताओं की दिशा भी तय करेगी।