प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत और जॉर्डन के बीच द्विपक्षीय व्यापार को अगले पांच वर्षों में दोगुना कर पांच अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचाने का महत्वाकांक्षी प्रस्ताव रखा है. इसके साथ ही उन्होंने जॉर्डन की कंपनियों को भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का लाभ उठाने और निवेश के जरिए बेहतर मुनाफा कमाने का खुला आमंत्रण दिया. पीएम मोदी सोमवार को जॉर्डन की राजधानी अम्मान पहुंचे, जहां वे किंग अब्दुल्ला द्वितीय के निमंत्रण पर दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं. यह यात्रा प्रधानमंत्री के चार दिवसीय तीन देशों के दौरे का पहला पड़ाव है, जिसके बाद वे इथियोपिया और ओमान जाएंगे.
मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने संयुक्त रूप से भारत-जॉर्डन व्यापार मंच को संबोधित किया. इस अवसर पर जॉर्डन के युवराज हुसैन, व्यापार एवं उद्योग मंत्री और निवेश मंत्री सहित दोनों देशों के कई प्रमुख उद्योगपति मौजूद रहे. दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि भारत और जॉर्डन के बीच व्यापारिक रिश्तों को नई मजबूती देने का यह सही समय है और उद्योग जगत को आपसी सहयोग को वृद्धि और समृद्धि में बदलना चाहिए.
किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने अपने संबोधन में कहा कि जॉर्डन के मुक्त व्यापार समझौतों और भारत की आर्थिक शक्ति को एक साथ जोड़कर दक्षिण एशिया और पश्चिम एशिया के बीच एक मजबूत आर्थिक गलियारा विकसित किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि यह सहयोग न सिर्फ दोनों देशों के लिए, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए नए अवसर पैदा करेगा.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है. एक तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत की सफलता जॉर्डन समेत दुनिया भर के साझेदारों के लिए अपार वाणिज्यिक अवसर लेकर आ रही है. उन्होंने कहा, “भारत और जॉर्डन के संबंध ऐसे हैं, जहां ऐतिहासिक विश्वास और भविष्य के आर्थिक अवसर एक साथ मिलते हैं.”
पीएम मोदी ने जॉर्डन की कंपनियों को भारत के साथ साझेदारी करने का आह्वान करते हुए कहा कि वे भारत के 1.4 अरब उपभोक्ताओं वाले विशाल बाजार, मजबूत विनिर्माण आधार और स्थिर, पारदर्शी तथा पूर्वानुमानित नीतिगत वातावरण का लाभ उठा सकती हैं. उन्होंने भारत की आठ प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि दर का उल्लेख करते हुए कहा कि यह उपलब्धि उत्पादकता-आधारित सुधारों और नवाचार-प्रेरित विकास नीतियों का परिणाम है.
प्रधानमंत्री ने यह भी रेखांकित किया कि भारत वर्तमान में जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वे केवल आंकड़ों की बात करने नहीं आए हैं, बल्कि एक दीर्घकालिक, भरोसेमंद और रणनीतिक साझेदारी बनाने का लक्ष्य लेकर आए हैं, जो आंकड़ों से कहीं आगे हो.
पीएम मोदी ने अगले पांच वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार को पांच अरब अमेरिकी डॉलर तक ले जाने का प्रस्ताव रखते हुए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर, सूचना प्रौद्योगिकी, फिनटेक, हेल्थटेक और एग्रीटेक जैसे क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाओं का उल्लेख किया. उन्होंने दोनों देशों के स्टार्टअप्स को इन क्षेत्रों में मिलकर काम करने के लिए प्रेरित किया.
औषधि और चिकित्सकीय उपकरणों के क्षेत्र में भारत की ताकत और जॉर्डन की रणनीतिक भौगोलिक स्थिति का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देश एक-दूसरे के पूरक बन सकते हैं. इससे जॉर्डन को पश्चिम एशिया और अफ्रीका के लिए एक भरोसेमंद हब के रूप में विकसित किया जा सकता है.
इसके अलावा कृषि, कोल्ड चेन, फूड पार्क, उर्वरक, बुनियादी ढांचा, मोटर वाहन, हरित परिवहन और विरासत एवं सांस्कृतिक पर्यटन जैसे क्षेत्रों में भी व्यापारिक अवसरों की व्यापक संभावनाएं बताई गईं. भारत की हरित पहलों का उल्लेख करते हुए पीएम मोदी ने नवीकरणीय ऊर्जा, हरित वित्तपोषण और जल पुनर्चक्रण में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया.
भारत-जॉर्डन व्यापार मंच में दोनों देशों के अवसंरचना, स्वास्थ्य, औषधि, कृषि, ऊर्जा, रक्षा और विनिर्माण क्षेत्रों के उद्योगपतियों ने भाग लिया. प्रतिनिधिमंडल में फिक्की और जॉर्डन चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रतिनिधि भी शामिल थे, जिनके बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही एक समझौता मौजूद है. यह मंच भारत-जॉर्डन रिश्तों को नई दिशा देने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.