कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर, उत्तर प्रदेश में सपा उम्मीदवार नसीम सोलंकी के मंदिर जाने की घटना ने विवाद को जन्म दे दिया है। उनके इस कदम के विरोध में मुस्लिम समुदाय से एक फतवा जारी किया गया है। इसके साथ ही हिंदू समुदाय के कुछ सदस्यों ने उस मंदिर का शुद्धीकरण किया जहां सोलंकी पूजा करने गई थीं। एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें लोग धार्मिक नारे लगाते हुए नजर आ रहे हैं। नसीम सोलंकी सपा नेता इरफान सोलंकी की पत्नी हैं, जिनकी विधायकी एक मामले में सजा के बाद रद्द कर दी गई थी, और अब कानपुर की सीसामऊ सीट पर उपचुनाव हो रहा है।
सपा ने नसीम सोलंकी को सीसामऊ उपचुनाव के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है। चुनाव प्रचार के दौरान दिवाली की रात उन्होंने वानखंडेश्वर मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की और दीप जलाए। उन्होंने कहा कि उनके ससुर हाजी मुश्ताक सोलंकी और पति इरफान सोलंकी ने जनता की सेवा की है और वे भी क्षेत्र की जनता की सेवा करेंगी। हालांकि, उनके शिव मंदिर में जलाभिषेक और दीप दान का वीडियो वायरल होने के बाद उन पर सवाल उठने लगे।
इससे पहले, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने नसीम सोलंकी के खिलाफ फतवा जारी किया था। उन्होंने कहा कि नसीम सोलंकी शरीयत के नियमों का उल्लंघन कर रही हैं और उन्हें तौबा करके दोबारा कलमा पढ़ना चाहिए। मौलाना ने कहा कि इस्लाम में मूर्ति पूजा वर्जित है और अगर कोई जानबूझकर ऐसा करता है, तो उस पर सख्त नियम लागू होते हैं। यदि महिला ने अनजाने में ऐसा किया है, तो वह शरिया के अनुसार दोषी है और उसे पश्चाताप करना चाहिए।
इसके साथ ही हिंदुत्ववादी संगठनों ने भी नसीम सोलंकी के इस कदम का विरोध किया। शनिवार को कुछ लोगों ने उस मंदिर का गंगाजल से शुद्धीकरण कराया, जहां नसीम सोलंकी गई थीं, और वहां भी धार्मिक नारे लगाए गए। यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहा है।