कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर के गैंगस्टर जयकांत बाजपेई और उसके तीन भाइयों को अदालत ने 7 साल पुराने मारपीट के मामले में बरी कर दिया है। एसीजेएम प्रथम की अदालत ने सबूतों की कमी और गवाहों के विरोधाभासी बयानों के आधार पर यह फैसला सुनाया। यह मामला 15 मार्च 2018 को नजीराबाद थाना क्षेत्र का है, जब दरोगा दिनेश त्रिपाठी ने जयकांत और उसके भाइयों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था।
दरोगा दिनेश त्रिपाठी ने अपनी तहरीर में कहा था कि 14 मार्च 2018 की रात सौरव भदौरिया और रजत बाजपेई के बीच विवाद हुआ था। विवाद के बाद विशाल कोरी को होमगार्ड के साथ मेडिकल के लिए अस्पताल भेजा गया, लेकिन रास्ते में रेलवे क्रॉसिंग के पास दोनों पक्षों में पत्थरबाजी होने लगी। मौके पर पहुंचे दरोगा दिनेश त्रिपाठी ने भी पत्थरबाजी देखी और मुकदमा दर्ज कर लिया।
पुलिस ने इस मामले में जयकांत बाजपेई, शोभित वाजपेई, अजयकांत वाजपेई, राजेकांत वाजपेई समेत कई लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। अभियोजन पक्ष की ओर से 12 गवाह पेश किए गए, जिनमें से 5 प्रत्यक्षदर्शी थे। हालांकि, होमगार्ड और दरोगा ने आरोपियों को पहचानने से इनकार कर दिया और कहा कि घटना के समय अंधेरा था, जिससे पहचान पाना मुश्किल था।
होमगार्ड तेज प्रताप ने बयान दिया कि विशाल कोरी को पथराव के बाद छुड़ाया गया था, जबकि FIR में लिखा था कि वह भगदड़ का फायदा उठाकर भाग गया। इस तरह के विरोधाभासों के चलते अदालत ने जयकांत और उसके भाइयों को दोष मुक्त कर दिया। हालांकि, अन्य मामलों के चलते जयकांत अभी भी कानपुर देहात की जेल में बंद है।