कानपुर न्यूज डेस्क: कानपुर में 25 से 31 जुलाई तक विश्व ओआरएस सप्ताह के तहत व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। इसका उद्देश्य लोगों को डायरिया जैसी जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए ओआरएस और जिंक के महत्व के बारे में जागरूक करना है। बाल रोग अकादमी कानपुर के सचिव डॉ. अमितेश यादव ने बताया कि स्कूल, कॉलेज, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और अन्य संस्थानों में रोज़ाना अलग-अलग कार्यक्रम होंगे।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. अनुराग भारती ने बताया कि 5 साल से कम उम्र के बच्चों में दस्त के दौरान ओआरएस देना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह शरीर में पानी और इलेक्ट्रोलाइट की कमी को पूरा करता है। डॉ. रोली मोहन ने बताया कि हर साल दुनिया भर में 12 लाख और भारत में करीब 5 लाख बच्चे डायरिया से मरते हैं। चूंकि इसका कारण ज़्यादातर वायरस होता है, एंटीबायोटिक्स से कोई फायदा नहीं होता। इसलिए ओआरएस को ही विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अनिवार्य जीवन रक्षक औषधि माना है।
डॉ. वीएन त्रिपाठी ने ज़िंक की भूमिका को भी अहम बताया। उन्होंने कहा कि डायरिया के बाद 14 दिनों तक ज़िंक देने से बच्चों में इसकी गंभीरता घटती है और बार-बार होने का खतरा भी कम होता है। वहीं बाल रोग विभागाध्यक्ष डॉ. शैलेन्द्र गौतम ने कहा कि ओआरएस और ज़िंक जैसे उपाय सस्ते और सरल होते हुए भी बेहद प्रभावी हैं, लेकिन ज़रूरत है कि इनकी जानकारी हर घर तक पहुंचे। साफ-सफाई, स्वच्छ पानी और भोजन की आदतें भी अहम हैं।
सप्ताहभर चलने वाले कार्यक्रमों में 25 जुलाई को केडीएमए स्कूल और श्याम चिल्ड्रन हॉस्पिटल में शुरुआत होगी। 26 को तुलसी और प्रखर हॉस्पिटल में, 27 को मोतीझील में रैली, 28 को रामा और जीएसवीएम कॉलेज में जागरूकता सत्र होंगे। 29 जुलाई को सीएचसी कल्याणपुर में आंगनबाड़ी और एएनएम के लिए कैंप लगेगा। 30 और 31 जुलाई को जीएसवीएम, काशीराम, मरियमपुर और जीटीबी हॉस्पिटल में जागरूकता शिविर और गतिविधियां आयोजित होंगी।