कानपुर न्यूज डेस्क: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ का असर गुरुवार से दिखने लगा है। टैरिफ लागू होते ही अमेरिका से कानपुर आने वाले आधे से ज्यादा ऑर्डर होल्ड पर चले गए हैं। अमेरिकी आयातकों की ओर से अब यह भी नहीं बताया जा रहा कि ये ऑर्डर दोबारा कब मंगाए जाएंगे। अभी टैरिफ 25 प्रतिशत है, लेकिन अतिरिक्त टैरिफ लागू होते ही यह 50 प्रतिशत तक पहुंच जाएगा। विशेषज्ञों का कहना है कि अब भारत को ऐसे देशों पर भरोसा करना होगा जिनके साथ शुल्क मुक्त व्यापार की व्यवस्था है।
कानपुर से हर महीने अमेरिका को करीब 200 करोड़ रुपये का सामान भेजा जाता है। पिछले वित्तीय वर्ष में कुल 10,400 करोड़ रुपये के निर्यात में से ढाई हजार करोड़ रुपये का माल अमेरिका भेजा गया था, जिसमें एक हजार करोड़ रुपये का हिस्सा सिर्फ चर्म उत्पादों का था। लेकिन अब उम्मीद की जा रही है कि यह आंकड़ा धीरे-धीरे घटेगा। राहत की बात यह है कि यूरोपीय देशों में भी उतना ही निर्यात होता है, जितना अमेरिका में। इसलिए अब यूरोपीय देशों पर ध्यान केंद्रित करना जरूरी हो गया है।
पूरे उत्तर प्रदेश की बात करें तो पिछले वित्तीय वर्ष में यहां से 35,545 करोड़ रुपये का माल अमेरिका को भेजा गया था, जो यूपी के कुल निर्यात का 19 प्रतिशत है। हालांकि अब नीदरलैंड, फ्रांस, जर्मनी और स्पेन जैसे देशों में भारतीय सामानों की मांग तेजी से बढ़ रही है। वहीं, यूएई, वियतनाम और मलेशिया में मांग थोड़ी घटी है। यही वजह है कि रणनीति में बदलाव लाकर अब फोकस बदलने की जरूरत है।
कारोबारी कह रहे हैं कि अब ऐसे पचास से ज्यादा देशों से व्यापार बढ़ाने का मौका है, जिनके साथ भारत का शुल्क मुक्त व्यापार समझौता है। इनमें यूके, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, बांग्लादेश, नेपाल, मारीशस जैसे देश शामिल हैं। इसके साथ ही उन देशों में निर्माण पर भी ध्यान देना होगा जहां अमेरिका ने कम टैरिफ लगाया है, ताकि भारत का कच्चा माल वहां जाकर तैयार होकर अमेरिका भेजा जा सके।