इजराइल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है। इस बीच इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में एक इंटरव्यू में चौंकाने वाला बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगर ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की हत्या कर दी जाए, तो दोनों देशों के बीच चल रहा संघर्ष समाप्त हो सकता है। नेतन्याहू ने यह भी कहा कि उनका उद्देश्य युद्ध को बढ़ाना नहीं, बल्कि उसे खत्म करना है।
हालांकि, इससे पहले अमेरिका ने नेतन्याहू की सैन्य कार्रवाई की योजना पर वीटो लगा दिया था, क्योंकि अमेरिका को डर था कि इससे मध्य-पूर्व में हिंसा और अधिक भड़क सकती है। इस बयान के बाद दुनियाभर में हलचल मच गई है। सवाल उठता है कि आखिर अयातुल्ला खामेनेई कौन हैं और वे इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं?
कौन हैं अली खामेनेई?
अयातुल्ला अली खामेनेई ईरान के वर्तमान और दूसरे सुप्रीम लीडर हैं। उनका जन्म 17 जुलाई 1939 को मशहद, उत्तर-पूर्वी ईरान में हुआ था। उनके पिता एक धार्मिक गुरु और शिया मौलवी थे। खामेनेई ने पारंपरिक इस्लामी शिक्षा ली और जल्द ही शिया धर्मशास्त्र में माहिर हो गए।
खामेनेई की राजनीतिक सक्रियता 1960 के दशक में शुरू हुई, जब उन्होंने ईरान के शासक शाह मोहम्मद रेजा पहलवी के खिलाफ अयातुल्ला खुमैनी के नेतृत्व वाले इस्लामी आंदोलन में भाग लिया। इसके चलते उन्हें कई बार जेल और यातनाएं झेलनी पड़ीं।
🔴 इस्लामिक क्रांति और सत्ता में वृद्धि
1979 में जब ईरान की इस्लामिक क्रांति हुई, तो शाह का शासन खत्म हुआ और ईरान एक इस्लामिक गणराज्य में बदल गया। खुमैनी के नेतृत्व में अंतरिम सरकार बनी, जिसमें खामेनेई को अहम जिम्मेदारियां सौंपी गईं। उन्होंने डिप्टी डिफेंस मिनिस्टर, इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के प्रमुख और संसद सदस्य जैसे पदों पर कार्य किया।
1989 में अयातुल्ला खुमैनी की मृत्यु के बाद, खामेनेई को ईरान का सर्वोच्च नेता नियुक्त किया गया। तब से लेकर आज तक वे इस पद पर बने हुए हैं। आज वे ईरान के सबसे ताकतवर व्यक्ति हैं और किसी भी फैसले में उनकी मंजूरी अंतिम मानी जाती है।
कितना ताकतवर है यह सुप्रीम लीडर?
ईरान का संविधान सुप्रीम लीडर को व्यापक अधिकार देता है। खामेनेई न सिर्फ सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ हैं, बल्कि विदेश नीति, न्यायपालिका, खुफिया तंत्र, सरकारी मीडिया, सुरक्षा एजेंसियों, और यहां तक कि चुनावों की निगरानी करने वाले निकायों पर भी उनका पूरा नियंत्रण है।
वह संरक्षक परिषद के 12 में से 6 सदस्यों को नियुक्त करते हैं, जो संसद के कानूनों की समीक्षा करती है। इतना ही नहीं, वह ईरान की संसद और राष्ट्रपति के ऊपर भी अधिकार रखते हैं। यही वजह है कि पश्चिमी देश, खासकर अमेरिका और इजराइल, उन्हें ईरान में कट्टर नीतियों और परमाणु महत्वाकांक्षाओं के लिए जिम्मेदार मानते हैं।
🔶 खामेनेई की अकूत संपत्ति
एक अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, अयातुल्ला खामेनेई की संपत्ति करीब 200 बिलियन डॉलर आंकी गई है। यह संपत्ति सेतान्दे नामक संगठन के जरिए जुटाई गई है, जो सरकारी संपत्तियों और कंपनियों को संचालित करता है। खामेनेई की आय का बड़ा हिस्सा तेल-गैस कंपनियों, विदेशी निवेश और धार्मिक चंदों से आता है।
इस धन और शक्ति के कारण वे सिर्फ धार्मिक या राजनीतिक नेता नहीं, बल्कि पूरे ईरान की सत्ता के केंद्र हैं।
निष्कर्ष
इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू का अयातुल्ला खामेनेई को मारने का बयान सिर्फ एक सैन्य धमकी नहीं, बल्कि ईरान के सत्ता ढांचे की जड़ें हिलाने की कोशिश है। खामेनेई की हत्या से ईरान में सत्ता का शून्य पैदा हो सकता है, जो ना सिर्फ देश के अंदर अराजकता फैलाएगा बल्कि पूरे मध्य-पूर्व को संकट में डाल सकता है।
अब यह देखना होगा कि अमेरिका, इजराइल और ईरान के बीच यह संघर्ष संधि की ओर जाता है या युद्ध के मुहाने पर पहुंचता है। लेकिन एक बात तय है—खामेनेई केवल एक व्यक्ति नहीं, बल्कि पूरे ईरानी तंत्र का चेहरा हैं, जिनकी भूमिका को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।