नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ग्रामीण रोजगार व्यवस्था को मौलिक रूप से बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए मंगलवार को लोकसभा में 'VB–जी राम जी बिल, 2025' पेश किया। इस बिल को केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में रखा, जिसके बाद विपक्ष ने जोरदार हंगामा किया। यह प्रस्तावित कानून अगर पारित हो जाता है, तो यह महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) की जगह लेगा और इसका नया नाम होगा: विकसित भारत, गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण), जिसे संक्षेप में 'जी राम जी' कहा जा रहा है। सरकार का दावा है कि यह बिल 'विकसित भारत 2047' के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप ग्रामीण रोजगार और आजीविका को अधिक प्रभावी ढंग से मजबूत करेगा।
मुख्य बदलाव: 125 दिन का रोजगार और राज्यों पर वित्तीय बोझ
इस प्रस्तावित 'जी राम जी' बिल में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
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रोजगार के दिन: ग्रामीण परिवारों को अब सालाना 100 की जगह 125 दिन का गारंटीशुदा रोजगार दिया जाएगा।
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वित्तीय जिम्मेदारी में बदलाव: मनरेगा का पूरा वित्तीय बोझ अभी तक केंद्र सरकार उठाती थी, लेकिन नए बिल में राज्यों को अब 10% से 40% तक खर्च वहन करना होगा।
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कृषि कार्य के लिए छूट: नए बिल में यह भी प्रस्ताव है कि बुवाई और कटाई के मौसम के करीब 60 दिनों तक इस योजना के तहत काम नहीं दिया जाएगा।
सरकार का तर्क है कि रोजगार के दिन बढ़ाने से ग्रामीण आय में वृद्धि होगी, जबकि खेती के मौसम में काम पर रोक लगाने से कृषि कार्यों के दौरान मजदूरों की कमी नहीं होगी। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि यह बिल गरीबों के सम्मान और गांधीजी के सपनों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
विपक्ष का तीखा हमला: 'मनरेगा को कमजोर करने की साजिश'
इस बिल को लेकर विपक्ष ने सरकार पर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी को दो चीज़ों से पक्की नफ़रत है - महात्मा गांधी के विचारों से और गरीबों के अधिकारों से। उन्होंने कहा कि मनरेगा महात्मा गांधी के ग्राम-स्वराज के सपने का जीवंत रूप है और कोविड काल में करोड़ों ग्रामीणों का आर्थिक सुरक्षा कवच भी साबित हुआ।
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि पिछले दस सालों से प्रधानमंत्री मोदी इस योजना को कमजोर करने की कोशिश करते रहे हैं, और अब वे मनरेगा का नामो-निशान मिटाने पर आमादा हैं। उनका कहना है कि यह कानून मनरेगा को केंद्र के नियंत्रण का औजार बना देगा, जहां बजट और नियम केंद्र तय करेगा, लेकिन राज्यों पर अतिरिक्त बोझ डाला जाएगा। उन्होंने फसल के मौसम में रोजगार पर रोक लगाने के प्रस्ताव को गरीब मजदूरों को महीनों तक काम से वंचित रखने की साजिश बताया।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सरकार पर योजनाओं के नाम बदलने की 'सनक' का आरोप लगाया, वहीं समाजवादी पार्टी के सांसद अखिलेश यादव ने कहा कि नाम बदलने से जमीनी हकीकत नहीं बदलेगी, बल्कि राज्यों के सामने आर्थिक संकट खड़ा होगा। केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए पलटवार किया और कहा कि 'बापू रामराज की स्थापना की बात कहते थे' और पता नहीं 'विकसित भारत - जी राम जी' के नाम पर विपक्ष क्यों भड़क गया है। फिलहाल, सबकी नजरें संसद की अगली बहस और इस बिल के भविष्य पर टिकी हैं, जो ग्रामीण भारत के रोजगार और अर्थव्यवस्था की दिशा तय कर सकता है।