हैदराबाद/सिडनी: ऑस्ट्रेलिया के सिडनी स्थित प्रसिद्ध बोंडी बीच पर यहूदी त्योहार 'हनुक्का' के दौरान हुए आतंकी हमले ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया है। इस मामले में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि मुख्य हमलावर साजिद अकरम मूल रूप से भारतीय है और तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद का रहने वाला है। साजिद और उसके 24 वर्षीय बेटे नवीद पर आरोप है कि उन्होंने आईएसआईएस (ISIS) की विचारधारा से प्रेरित होकर इस हमले को अंजाम दिया। इस घटना में करीब 40 लोग घायल हुए, जिनमें तीन भारतीय छात्र भी शामिल हैं।
हैदराबाद में सपंन्न परिवार से है साजिद
तेलंगाना पुलिस और खुफिया एजेंसियों ने साजिद के अतीत की पड़ताल करते हुए उसके परिवार का पता हैदराबाद के टोली चौकी स्थित अल हसनथ कॉलोनी में लगाया है। जांच में सामने आया कि साजिद एक बेहद शिक्षित और प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है। उसके पिता सशस्त्र बलों (Armed Forces) के एक सेवानिवृत्त अधिकारी थे और उसका बड़ा भाई पेशे से डॉक्टर है।
साजिद साल 1998 में ऑस्ट्रेलिया चला गया था। तब से उसका अपने परिवार से संपर्क बेहद सीमित था। तेलंगाना के डीजीपी शिवधर रेड्डी ने बताया कि वह पिछले 27 सालों में केवल छह बार भारत आया, वह भी मुख्य रूप से संपत्ति संबंधी विवादों को सुलझाने के लिए। साजिद की अपने परिवार से बेरुखी का आलम यह था कि साल 2009 में वह अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए भी भारत नहीं आया था।
सिडनी में कट्टरपंथी होने की आशंका
ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा एजेंसियों और न्यू साउथ वेल्स पुलिस की शुरुआती जांच के अनुसार, साजिद और उसके बेटे नवीद को संभवतः सिडनी में ही कट्टरपंथी बनाया गया। आरोपी बेटा नवीद 2019 से 2022 के बीच सिडनी में कुछ अरबी और धार्मिक पाठ्यक्रमों में शामिल हुआ था। गिरफ्तारी के वक्त नवीद के वाहन से देसी बम और आईएसआईएस के दो झंडे बरामद हुए हैं।
डीजीपी शिवधर रेड्डी ने स्पष्ट किया कि, "साजिद का भारत में कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं रहा है और उसके कट्टरपंथी बनने के तार भारत से जुड़ते नहीं दिख रहे हैं।" साजिद के परिवार ने भी पूछताछ में बताया कि उन्हें इस बात की कोई भनक नहीं थी कि बाप-बेटे कब और कैसे इस हिंसक विचारधारा की चपेट में आ गए।
घायल भारतीयों की स्थिति
बोंडी बीच पर हुए इस हमले में घायल 40 लोगों में तीन भारतीय छात्र भी शामिल थे, जो वहां त्यौहार की खुशियां देख रहे थे। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से दो छात्र अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं और उनका इलाज चल रहा है। ऑस्ट्रेलियाई अधिकारी इस मामले की गहन जांच कर रहे हैं ताकि इस आतंकी नेटवर्क के अन्य संभावित कड़ियों का पर्दाफाश किया जा सके।